Hindi Summary: How Free is The Press | Dorothy L. Sayers – Bihar Board 12th | 100 Marks English | by Malendra Sir
‘हाउ फ्री इज द प्रेस’ एक निबंध है, जो Dorothy L. Sayers (डोरोथी एल सैयर्स) द्वारा लिखा गया है।
इस निबंध में प्रेस की स्वतंत्रता के महत्त्व को बताया गया है।
Dorothy L. Sayers कहती हैं कि निष्पक्ष पत्रकारिता लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी है।
प्रेस की स्वतंत्रता का अर्थ है – सरकार के हस्तक्षेप या सेंसरशिप से स्वतंत्रता।
लेकिन आज के परिदृश्य में प्रेस उतना मुक्त नहीं है जितना होना चाहिए।
वास्तव में आज के समय में प्रेस को दो कारकों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है – विज्ञापनकर्ता और प्रेस के मालिक।
विज्ञापनदाता अपना विज्ञापन देने के लिए अधिकतम प्रसार वाले समाचार पत्रों का चयन करते हैं।
इसलिए विज्ञापनदाताओं को लुभाने के लिए प्रेस वाले अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने की कोशिश करते हैं।
अधिक संख्या में संचालन को बनाए रखने के लिए समाचार पत्रों को कम कीमत बनाए रखने की आवश्यकता होती है, इससे प्रेस वालों को नुकसान होता है। और कीमत का यह अंतर विज्ञापनदाताओं के विज्ञापन से पूरा होता है।
इस प्रकार अखबार और विज्ञापनदाता दोनों परस्पर निर्भर हैं।
यदि समाचारपत्र विज्ञापनदाताओं को सुनने से इनकार करते हैं, तो वे जल्द ही ढह जाएंगे।
इसलिए कोई भी अखबार या समाचार एजेंसी उनके खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं करता।
कोई भी प्रेस हमेशा सार्वजनिक राय व्यक्त नहीं करता है। वे हमेशा सही ख़बरों को प्रकाशित नहीं करते हैं। वे ख़बरों को जुटाने की बजाय इसे बनाने की कोशिश करते हैं। और ऐसी ही ख़बरें प्रकाशित करते हैं जिनसे विज्ञापनदाताओं का फ़ायदा हो।
कभी-कभी ये लोग तथ्यों को भी गलत तरीके से प्रस्तुत हैं।
आदर्श मामले की बात करें तो, प्रेस को सामान्य समय में पूरी तरह से स्वतंत्र होना चाहिए और केवल आपातकालीन और युद्ध अवधि के दौरान ही सेंसरशिप होनी चाहिए।
लेकिन अब ऐसा होता नहीं है।
इस निबंध के माध्यम से Dorothy L. Sayers यह सन्देश देने की कोशिश करती हैं कि हमें किसी भी ख़बर पर आँखें मूँद कर भरोसा नहीं करना चाहिये। किसी भी तरह की राय बनाने से पहले तथ्यों की पड़ताल ज़रूर करनी चाहिये और उन्हीं समाचारपत्रों और एजेंसियों का समर्थन करना चाहिये जो स्वतंत्र होकर काम करती हों।