हिन्दी Summary: Snake | D. H. Lawrence
“Snake” कविता D.H. Lawrence के द्वारा लिखी गई है।
यह कविता समाज के दिये संस्कारों और अपने सहजज्ञान के बीच के कशमकश और अपराध बोध की मानवीय भावना पर आधारित है
साथी ही यह कविता हमारे आधुनिक जीवन की कृत्रिमता को भी दर्शाती है।
इस कविता में, कवि ने गर्मी के एक दिन का वर्णन किया है, जब उनका सामना एक सांप से होता है।
वह साँप उनके जलाशय पर पानी पीने आया था। यह एक भूरे-सुनहरे रंग का साँप था और वह कवि को बहुत आकर्षक लगता है।
कवि ने वहीँ रुक कर सांप के जाने का इंतजार करने लगता है। कवि को सांप पसंद आया था लेकिन उसकी शिक्षा उसे सांप को तुरंत मारने के लिए उकसा रही थी। लेकिन कवि को सांप बिल्कुल निर्दोष और सुंदर लगता है, इसलिए वह उसे नहीं मारता है।
लेकिन पानी पीने के बाद जब सांप अपने बिल में जा रहा था, वह लकड़ी का एक टुकड़ा पानी में फेंकता है। जिससे डरकर सांप मुड़कर देखता है, और जल्दी से अपने बिल में घुस जाता है। सांप ने कवि को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था। कवि अपने इस कृत्य पर तुरंत पछताने लगते हैं। और वह चाहते हैं कि सांप फिर से वापस आ जाए।