Hindi Summary: Fire – Hymn | Keki N. Daruwala – Bihar Board 12th | 100 Marks English | by Malendra Sir
‘फायर हाइमन‘ कविता की रचना केकी एन दारुवाला ने की है।
इस कविताकी शुरुआत में कवि एक घाट (अंतिम संस्कार स्थल) के दृश्य का वर्णन करते हैं।
जहाँ लाशें जल रही होती हैं।
घाट के चारों ओर का वातावरण धुएं से भरा हुआ था। आग हर चीज को निगल गई थी।
घाट पर शव लगभग जल चुके थे लेकिन कुछ शव आधे जले थे।
और उनके आसपास ठंडी पड़ रही आग का नजारा अंगारे जैसा प्रतीत हो रहा था।
वहीँ लाशों के पास कुछ उँगलियाँ दिख रही थीं। कवि के पिता उन अधजली उँगलियों की तरफ़ ईशारा करते हुए उनसे कहते हैं कि “कभी-कभी आग अपना दायित्व पूरा नहीं निभा पाती है।
यह भयानक दृश्य उन्हें पच्चीस साल बाद भी याद आता है, जब वह अपने पहले बच्चे के शव को आग के हवाले करते हैं।
उनका कहना है कि पारसी होने के नाते उन्हें शव को ‘टॉवर ऑफ साइलेंस‘ में डाल देना चाहिए था।
लेकिन टॉवर ऑफ साइलेंस उनके निवास से बहुत दूर था इसलिए उन्होंने शरीर को आग की लौ में जला दिया था।
यह उनके धर्म की प्रथा के खिलाफ था।
हालांकि वह सांप्रदायिक नहीं है, लेकिन उसे शरीर को आग में जलाने की परंपरा पसंद नहीं है।
कवि कहते हैं कि यह एक क्रूर कृत्य है।